buddh vandnaa

                        बुद्ध वंदना    
अर्हरत सम्यक बुद्ध पद , 
नर शिर करौं प्रणाम। 
सत्य ज्ञान जाते मिले, 
भव दुख मिटै तमाम     ।1।

करुण शीतल उर जाके , 
दुख बंधन नहि राग । 
सुर-नर गुरु अस बुध को , 
वन्दौं मन मल त्याग।2।

योगी संयमी ध्यानी , 
करुणा के अवतार। 
 ज्ञान स्वरूप अस बुद्ध को ,
करौं स्तुति नमस्कार।3।

बुद्ध धम्म अरु संघ के ,
 शरण जात हम साँच। 
हिंसा चोरी झूठ रति, 
अरु मदिरा तजि  पांच।4।

करि न सकै जग में कोई , 
बुद्ध देव के तूल।  
 विश्व के परदेव पाहि , 
जात मुर्ख मति भूल।5। 

केवल आश्रय बुद्ध मम , 
जग में और ना कोय। 
या ढृढ़ सत्य विचार सो ,
नित जय मंगल होय।6। 

 मोह -तम नाशक रवि जिमि ,
अध के बुद्ध कृशानु। 
तिनके धर्म संघ बिना , 
नर को नहीं कल्याण।7।  

मुक्ति मिलै नहीं  ज्ञान बिनु  
गुरु बिना नहीं ज्ञान। 
सो गुरु केवल बुद्ध एक , 
खोज कहो विद्वान।8। 

 अर्हत बुद्ध भगवन की जय , 
 करुणामई  बुद्ध भगवान  की जय।.  


 

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